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लोग गीतों का नगर याद आया / हबीब जालिब

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लोग गीतों का नगर याद आया
आज परदेस में घर याद आया

जब चले आए चमन-ज़ार से हम
इल्तिफ़ात-ए-गुल-ए-तर याद आया

तेरी बेगाना-निगाही सर-ए-शाम
ये सितम ता-ब-सहर याद आया

हम ज़माने का सितम भूल गए
जब तिरा लुत्फ़-ए-नज़र याद आया

तो भी मसरूर था इस शब सर-ए-बज़्म
अपने शे'रों का असर याद आया

फिर हुआ दर्द-ए-तमन्ना बेदार
फिर दिल-ए-ख़ाक-बसर याद आया

हम जिसे भूल चुके थे 'जालिब'
फिर वही राहगुज़र याद आया