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लोग जिनके सताए हुए हैं / बल्ली सिंह चीमा

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लोग जिनके सताए हुए हैं ।
वे ही दिल्ली पे छाए हुए हैं ।

वो चुनावों के क़स्मे औ’ वादे,
जा के दिल्ली भुलाए हुए हैं ।

दे के हमको वो धोके पे धोका,
अपनी कुर्सी बचाए हुए हैं ।

पूच लो अब सवालात, लोगो !
वोट लेने वो आए हुए हैं ।

पाप करते हैं पापी नहीं हैं,
वे तो गंगा नहाए हुए हैं ।

दूर कर देंगे इक दिन अँधेरा,
जो मशालें जलाए हुए हैं ।

सच है ’बल्ली’ जो बहरे नहीं हैं,
गीत सुनने वो आए हुए हैं ।