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लोग जो बड़े हैं, वे बड़े हैं / शिवशंकर मिश्र
Kavita Kosh से
लोग जो बड़े हैं, वे बड़े हैं
आयतोच्च मंचों पर खड़े हैं
हम ही अभागे हैं, सड़कों पर
पैदा जो हुए कभी, पड़े हैं