लोग नाहक जुनून की ख़ातिर
रो रहे हैं सुकून की ख़ातिर
लाख रिश्तों की बर्फ़ जम जाये
ख़ून दौड़ेगा ख़ून की ख़ातिर
वो मेरे साथ-साथ है ऐसे
जनवरी जैसे जून की ख़ातिर
हाँकने में जुटे हैं चरवाहे
हम तो भेड़ें हैं ऊन की ख़ातिर
क्या ज़बानों को मार डालेंगे
बस इसी नून-मीम की ख़ातिर