Last modified on 23 सितम्बर 2022, at 15:03

लोग नाहक जुनून की ख़ातिर / राजेन्द्र तिवारी

लोग नाहक जुनून की ख़ातिर
रो रहे हैं सुकून की ख़ातिर

लाख रिश्तों की बर्फ़ जम जाये
ख़ून दौड़ेगा ख़ून की ख़ातिर

वो मेरे साथ-साथ है ऐसे
जनवरी जैसे जून की ख़ातिर

हाँकने में जुटे हैं चरवाहे
हम तो भेड़ें हैं ऊन की ख़ातिर

क्या ज़बानों को मार डालेंगे
बस इसी नून-मीम की ख़ातिर