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लोग बूढे पूछते हैं / योगक्षेम / बृजनाथ श्रीवास्तव

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क्या वहाँ पर भी
मिलेंगे आम के मीठे बगीचे
लोग बूढ़े पूछते हैं

लोग कहते
चाँदनी में
नाचती परियाँ वहाँ पर
फूल हैं सब मौसमों के
खुशबुएँ तिरतीं वहाँ पर

क्या वहाँ गंगा
मिलेगी जो हमारे प्राण सींचे
लोग बूढ़े पूछते हैं

लोग बाँचें
कुछ कथायें
है वहाँ अनुपम शिवालय
गूँजतीं हैं साम धुनियाँ
है वहीं चलता महालय

नेह के आश्रम
मिलेंगे जो हमारा ध्यान खींचें
लोग बूढ़े पूछते हैं

और मुग्धा
घाटियों सँग
ब्रह्म कमलों के सरोवर
उपवनों में खगकुलों के
हैं मुखर गुंजार के स्वर

यदि वहाँ पर मन
न लागे लौट सकते आँख मीचे
लोग बूढ़े पूछते हैं