भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लोग बूढे पूछते हैं / योगक्षेम / बृजनाथ श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
क्या वहाँ पर भी
मिलेंगे आम के मीठे बगीचे
लोग बूढ़े पूछते हैं
लोग कहते
चाँदनी में
नाचती परियाँ वहाँ पर
फूल हैं सब मौसमों के
खुशबुएँ तिरतीं वहाँ पर
क्या वहाँ गंगा
मिलेगी जो हमारे प्राण सींचे
लोग बूढ़े पूछते हैं
लोग बाँचें
कुछ कथायें
है वहाँ अनुपम शिवालय
गूँजतीं हैं साम धुनियाँ
है वहीं चलता महालय
नेह के आश्रम
मिलेंगे जो हमारा ध्यान खींचें
लोग बूढ़े पूछते हैं
और मुग्धा
घाटियों सँग
ब्रह्म कमलों के सरोवर
उपवनों में खगकुलों के
हैं मुखर गुंजार के स्वर
यदि वहाँ पर मन
न लागे लौट सकते आँख मीचे
लोग बूढ़े पूछते हैं