भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लोग मिले / रेखा राजवंशी
Kavita Kosh से
अश्कों की बरसातें लेकर लोग मिले
ग़म में भीगी रातें लेकर लोग मिले
पूरी एक कहानी कैसे बन पाती
क़तरा-क़तरा बातें लेकर लोग मिले
भर पाते नासूर दिलों कैसे जब
ज़हर बुझी सौगातें लेकर लोग मिले
अब गैरों से क्या शिकवा करने जाएँ
अपनों को ही मातें देकर लोग चले
आशिक के टूटा दिल कोई क्यों देखे
जब अपनी बारातें लेकर लोग चले