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लोग हैं बेशर्म / रणजीत
Kavita Kosh से
लोग हैं बेशर्म, बोलो क्या करें?
कुटिल इनके कर्म, बोलो क्या करें?
द्वेष इनका देश है और घृणा इनकी जाति है
ढोंग इनका धर्म, बोलो क्या करें?
चीथ कर मासूम हिरणों को अरे ये भेड़िये
ओढ़ते मृगचर्म, बोलो क्या करें?
ज़ुल्म का भांडा लबालब भर चुका
और लोहा गर्म, बोलो क्या करें?