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लोग / गिरिजा अरोड़ा
Kavita Kosh से
आँसू याद रख खुशियाँ भुलादेते हैं
मानसून आँखोंमें बसा लेते हैं लोग
फूल की महक लेकर भुला देते हैं
काँटों को दामन से लगा लेते हैं लोग
बातों बातों में मुर्दे गढ़े उखाड़ लेते हैं
जीवन को कब्रिस्तान बना लेते हैं लोग
एक ही बात बार बार दोहराते हैं
कुछ किस्से क्यों नहीं भुला देते हैं लोग
दर्द के गीत ही लिखते हैं गुनगुनाते हैं
गमों को दिल का जहान बना लेते हैं लोग