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लोग / रणजीत
Kavita Kosh से
अपने घर के सामने ऊँचे उठा कर
सड़क को नाली बनाने पर तुले हैं लोग।
भोग का, व्यापार का पर्याय तो पहले भी था, अब
प्यार को गाली बनाने पर तुले हैं लोग।
पत्नियाँ देती नहीं हैं सालियों-से सुख, तभी तो
पत्नी को साली बनाने पर तुले हैं लोग।
रहीम को रसखान कर, तुलसी बना कबीर को
मख़्दूम को हाली बनाने पर तुले हैं लोग।
काले बुर्के डाल कर गौरांगनाओं के मुखों पर
जिन्दगी काली बनाने पर तुले हैं लोग।
मुजरिमों को वोट दे दे कर चुनावों में
गुलख़ोर को माली बनाने पर तुले हैं लोग।