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लोमड़ी का शहर / प्रमोद कौंसवाल
Kavita Kosh से
(मोहन थपलियाल की बीमारी पर)
आपकी आंतों पर
हमने ख़बर ली थी
उनमें अब हवा पानी चलने लगी होगी
मंगलकामनाएं हमारी
आप उस चौराहे- गोलचक्कर से
जब गुज़र रहे होंगे
उसके नाम बदलने वालों का तांता होगा
एक भभक आपकी
देह से छूटेगी
अस्पतालों की दवा और फ़िनाइल की
आपको पता न होगा
वह कौन था
जो गुज़रा
अपना रक्त थामते हुए
ध्यान रखना चाचा
हमख़्याल बचाएंगे आपको
सुबह नदी की एर फ़ुहार
बच जाएंगे आप
फिर फिर के लिए बच जाएंगे
रहेगा जारी ब्रेख़्त का शो।