भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लोरी - 2 / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बादल गरजा, सो जा, सो जा।
बिजली चमकी, सो जा, सो जा।
हवा तेज है, सो जा, सो जा।
रात हो गयी, सो जा, सो जा।
मेढक उछले, सो जा, सो जा।
टर्रटर्र, सो जा, सो जा।
बूँदें बरसी, सो जा, सो जा।
लोरी गाऊँ, सो जा, सो जा।