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लोरी / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
खिली चाँदनी गोरी-गोरी,
सो जा मेरे नन्हे वीर।
अम्माँ तेरी गाए लोरी,
सो जा मेरे नन्हे वीर!
पिंजरे भीतर मिट्ठू सोया,
और खा-पीकर कुत्तू सोया,
सोई चूँ-चूँ चिड़िया रानी,
सोए राजा रंक, फकीर।
सो जा मेरे नन्हे वीर!
गंगा सोई, जमुना सोई,
और छोटी-सी बहना सोई,
बांदर सोए, पातर सोए,
सोई दुनिया भर की भीर।
सो जा मेरे नन्हे वीर।