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लोरोॅ केॅ पियै छी / राधेश्याम चौधरी

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की मिललै हमरा दिल लगैला सेॅ,
दुश्मनी होय गेलै जमाना सेॅ।
घुमी रहलोॅ छियौं तोरोॅ गली मेॅ,
आबेॅ दोस्ती होय गेलोॅ छै अकेल्ला सेॅ।
तोरोॅ पता छै, हम्मेॅ वे पता छी,
आबेॅ पता मिलतौं शहनाई सेॅ।
जिंनगी रोॅ गेला मेॅ भटकी रहलोॅ छी,
अकेल्लोॅ-अकेल्लोॅ लागी रहलोॅ छी।
रोज जीयै छियै रोज मरै छियै,
आँखी मेॅ लेार आरो होठों मेॅ हँसी नै छै।
माय रोॅ आखरी दिन मिनी रहलोॅ छियै,
जहर लोरोॅ के पीवी रहलोॅ छियै।