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लोहा बजेगा / शील

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चला धौंकनी,
कुन्द कुदालों को गरमा कर —
पैना कर दूँ।

पानी धर दूँ,
लोहे में भी आत्मा भर दूँ,
जन-जीवन उत्साहित कर दूँ,
श्रम, सार्थक हो सृजन पर्व का,
श्रम, सार्थक हो नए वर्ष का —

लोहा खनकेगा,
ठनकेगा,
बोलेगा-बजेगा।

05 मार्च 1959