लौट आमंगे सब सफर बारे।
हाँ ‘नवीन’ आप के सहर बारे॥
आँख बारेन कों लाज आबैहै।
देख’तें ख्वाब जब नजर बारे॥
नेंकु तौ देख तेरे सर्मुख ही।
का-का कर’तें तिहारे घर बारे॥
एक कौने में धर दियौ तो कों।
खूब चोखे तिहारे घर बारे॥
रात अम्मा सों बोलत्वे बापू।
आमत्वें स्वप्न मो कों डर बारे॥
खूब ढूँढे, मिले न सहरन में।
संगी-साथी नदी-नहर बारे॥
जहर पी कें सिखायौ बा नें हमें।
बोल जिन बोलियो जहर बारे॥