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लौट कर कोई न आया आज तक / उर्मिल सत्यभूषण
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लौट कर कोई न आया आज तक
साथ किसने है निभाया आज तक
एक दिन हम से कहा ऋतुराज ने
तुमने पतझड़ ही रिझाया आज तक
आँख हंसती है अधर मुस्का रहे
दर्द यूं हम ने छुपाया आज तक
गीत तो लिखे मगर अपने लिये
एक भी ना गीत गाया आज तक
वो गये तो हमने अपने खून से
याद का दीपक जलाया आज तक
जिं़दगी ऐ जिं़दगी तेरे लिये
प्यार तक अपना लुटाया आज तक
मौत दस्तक दे रही, उर्मिल ने भी
सांस पर पहरा बिठाया आज तक।