गिरवी रखे
खेत
और घर के प्रति
मोह से भरे
जुलजुल पिता
जब आये थे शहर
उनकी आँखों में
दिपदिपा रहे थे
सपने
आज लौट गये हैं
आँखों में
सपनों की राख लिए।
गिरवी रखे
खेत
और घर के प्रति
मोह से भरे
जुलजुल पिता
जब आये थे शहर
उनकी आँखों में
दिपदिपा रहे थे
सपने
आज लौट गये हैं
आँखों में
सपनों की राख लिए।