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लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

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धन्य छै गुजरात के खेंड़ा जिला के करमसद गाँव
जे छेकै बल्लभ भाई पटेल के जनम ठाँव
धन्य छै हुनकोॅ पिता जी देशभक्त कृषक झवेर भाई पटेल
जे 1857 में अंगरेजोॅ के विरोध में लड़लै
साथें छेलै बुन्देल
सुदृढ़, विशाल तन, कठोर मुख मुद्रा
अन्तःसलिला सरस्वती नाँखी हिरदा
उत्साह के फड़कन सें भरलोॅ भुजा
अंग-प्रत्यंग में अपूर्व उमंग धजा
तीन विशेषता हिनका में छेलै
खतरा सें स्वाभाविक प्रेम,
गैहरोॅ संगठन शक्ति नेम
आपनों सम्बन्ध में सर्वथा मौन रहै में कुशल क्षेम
आर्थिक हालत साधारण
बैरिस्टरी परीक्षा में सर्वोत्तम स्थान
ई जानी के बहुते चकित होलोॅ रहै अंगरेज विद्वान
किसानों के कुशल कर्णधार
खेड़ा, बोरसद, झंडा बारदोली आन्दोलन पार
आजादी के छेलै सफल सेनानी
महान योद्धा, कर्मठ, ज्ञानी
राष्ट्रीय समस्या के बड़ोॅ सिद्ध समाधाता
भारत के एकता निर्माण के अद्भुत क्षमता
प्रशासकीय क्षमता में छेलै पारंगत
अंगरेज शासक के होलोॅ रहै मनसूबा पस्त
स्वतंत्र देशी रियासत के भारत में बिलयन
‘निजाम’ के ‘‘सार्वभौम सत्ता’’ मिटी गेलै दिन तीन
15 सिम्बर 1950 केॅ अमर सेनानी विदा हो गेलै
पटु प्रशासक, लौहपुरुष बल्लभ भाई पटेल छेलै
तेजस्वी, पुरुषार्थी, आरु सच्चा कर्मयोगी केॅ
शत-शत नमन, वै वीरव्रती, तपसी, त्यागी, बिस्मार्क केॅ।