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वक़्त और मुहब्बत ..... / इमरोज़
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वक़्त और मुहब्बत .....
वक़्त मुहब्बत को
अक्सर
ठहर कर देखता है
पर कभी-कभी
साथ चल कर भी
देख लेता है .......
(अनुवाद: हरकीरत हकीर )