भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वक़्त से तेज भागती लड़कियां / प्रदीप कुमार
Kavita Kosh से
जब से
एक्टिवा नामक
इस दुपहिए वाहन का आविष्कार हुआ है
लड़कियों ने हवा में उड़ना सिख लिया है
और सिख लिया है फुर्र से
वक्त से आगे निकल जाना
मालूम नहीं
ये संयोग है या सत्यता
कि जब भी ये दुपहिया वाहन पर दिखती है
बस कुछ ही पल के लिए दिखती है
जैसे वक्त के साथ
कोई जन्म।जन्मान्तर से दौड़ हो इनकी
भयानक ट्रैफिक
और कारों के बीच बेहद तेजी से
निकलने की कला
निसंदेह अदभुत है
और उतना ही अद्भुत है इनका
कभी।कभार अकस्मात् गिर के बिजली की गति से उठना भी,
शायद परिचित हैं
अपनी शक्ति से...
पर फिर भी ज़रा
संभल के चलने की
ज़रूरत है
क्योंकि ...
भला वक्त की गति से तेज दौड़ पाया है कोई।