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वक़्फ़े-उमीदे-दीदे-यार है दिल / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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वक़्फ़े-उमीदे-दीदे-यार<ref>प्रियतम के आने की आशा का अन्तराल</ref> है दिल
फ़स्ले-गुल<ref>वसन्त</ref> और सोगवार<ref>दुखी</ref> है दिल

जानता है के: वो न आएँगे
फिर भी मसरूफ़े-इन्तज़ार है दिल

वजहे-रंजो-अलम सही लेकिन
ख़्वाबे-उल्फ़त की यादगार है दिल

आप मुजरिमे-जफ़ा न बनें
हमने माना गुनाहगार है दिल

’फ़ैज़’ अंजामे-आशिक़ी मालूम
इस क़दर है केः बेक़रार है दिल


शब्दार्थ
<references/>