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वक्त / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

 
बुजुर्ग
आपसे क्या चाहते हैं ?
कभी आपने उनसे
जानने की इच्छा की
नहीं ना !
वे
चाहते हैं आपसे
अपने लिए
थोड़ा-सा समय
जिसमें बता सकें
अपने पैरों की तकलीफ
अपने धंुधले होते चश्मे का
नंबर
या
अपनी कमर में
बढ़ता
असहनीय दर्द
जिसे आप
किसी अस्पताल में
दिखला सकें
मगर
एक आप है
जो टालमटोल वाक्य के
अध्यक्ष हैं
जिसके पास फुर्सत नहीं
हां
फुरसत हैं प्रेमिकाओं की
हसरतें पूरी करने की
पत्नी को
मॉल घुमाने की
बच्चों को
पिज्जा खिलाने की
मगर
उस पालनहार के लिए
फुर्सत नहीं...
यह तो पता है ना
वक्त कभी एक-सा नहीं रहता
एक दिन जान जाओगे
तब तक
तुम्हारे पिताजी का साया ना रहेगा
केवल पिताजी की तस्वीर
तुम्हें मिलेगी
और तुम
आशीर्वाद भी ना ले -
पाओगे
तुम
तुम भी किसी दिन
दीवार पर टंग जाओगे
और
तुम्हारे बच्चों के पास
भी
वक्त ना होगा