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वजह बिन फ़ासला रखते नहीं हैं / रंजना वर्मा

वजह बिन फ़ासला रखते नहीं हैं
किसी से दुश्मनी करते नहीं हैं

भरेंगे जल्द ही सब घाव तन के
जखम अब ये बहुत गहरे नहीं हैं

समझ लेता सभी का दर्द है दिल
ये आँसू यूँ ही तो बहते नहीं हैं

सहेजी अश्क़ की दौलत जिगर में
जवाहर ये अभी बिखरे नहीं हैं

दुआ में माँगते खुशियाँ जहाँ की
किसी से हम कभी जलते नहीं हैं

हैं हँसते लोग अक्सर दूसरों पे
मगर खुद पे कभी हँसते नहीं हैं

जमाना साथ आये या न आये
मगर हम राह से भटके नहीं हैं