भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वजूद / प्रिया जौहरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहुत कठिन होता है
अपने वजूद के लिए लड़ना
ढूढ़ते जाना
अपने लिए इस धरती पर
नयी पगडंडी
नया रास्ता
दुविधा के इस बंजर मैदान में
हरी होती आशा
उग आती नयी सोच को
संभाल कर रखना इस
मन के उपवन में...