वतन प्यारा हमारा दिल हमारी जान हो जाये / रंजना वर्मा
वतन प्यारा हमारा दिल हमारी जान हो जाये
जमाने में हमारी इक नयी पहचान हो जाये
भरी इतनी मुहब्बत मुल्क की है नौजवानों में
बशर हर एक अपने देश पर कुर्बान हो जाये
सदासम्मान देकर हम उसे सर पर बिठाते हैं
हमारे घर कोई आकर अगर मेहमान हो जाये
चले आओ अगर हमदर्दियों की चाह है तुम को
तुम्हारा आगमन घर पर मे'रे ऐहसान हो जाये
उठाओ इस तरह मत आज तुम दीवार आँगन में
न इस दीवार से अब फिर कोई नुकसान हो जाये
जमाना है लगा शम्मा मुहब्बत की जलाने में
न हो ऐसा कि नफ़रत का नया सामान हो जाये
चलें क्यों आँधियाँ क्यों जलजले उठते हैं सरहद पर
ये फूलों का चमन मिट कर न कब्रिस्तान हो जाये
चमन में फूल देखे हैं हजारों रँग के हम ने
यहाँ के पत्थरों से भी तनिक पहचान हो जाये
खुशी में साथ थे जब दुख पड़ा मुँह मोड़ कर बैठे
नहीं वो दोस्त है जो दोस्त से अनजान हो जाये