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वतन हमारा एक है / साँझ सुरमयी / रंजना वर्मा

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गुलशन में गुल हज़ार हैं पर चमन हमारा एक है।
अलग अलग भाषा भाषी हम वतन हमारा एक है॥

वन बाग हैं अनेकों
पक्षी विविध रँगों के ,
बोली विभिन्न उनकी
अरु घोंसले अनोखे।

आलग अलग पंखों वाले पर गगन हमारा एक है।
अलग अलग भाषा भाषी हम वतन हमारा एक है॥

गिरिश्रेष्ठ से निकलतीं
बहतीं हजारों नदियाँ ,
उठती हर इक लहर से
कहतीं हजारों नदियाँ।

भिन्न लहर अरु डगर सिंधु में पतन हमारा एक है।
अलग अलग भाषा भाषी हम वतन हमारा एक है॥

हैं राज्य भिन्न लेकिन
है धर्म एक अपना ,
संस्कार भिन्न फिर भी
है कर्म एक अपना।

दीप लाख पर उनमें ज्योतित तपन हमारा एक है।
अलग अलग भाषा भाषी हम वतन हमारा एक है॥

हर क्षेत्र का निवासी
बोली अलग सुनाता ,
है प्रिय उसे सदा पर
बन्धुत्व नेह नाता।

है भिन्न वर्ग पर धरती पर आगमन हमारा एक है।
अलग अलग भाषा भाषी हम वतन हमारा एक है॥