Last modified on 18 अगस्त 2014, at 19:03

वनिवासक अंत / कालीकान्त झा ‘बूच’

घुरल आव अवधक दिवस भाग जागल
बुड़ल नाव देखू नदी कात लागल

भरथि कान हनुमान संवाद अमरित
भरत भऽ रहल छथि मगन मोन तिरपित
विरागी हृदय भाव अनुराग जागल,
बुड़ल नाव...

नगर आबि रहलनि लखन राम-सीता
प्रजा कंठ गीता नृपक प्राण प्रीता
विगत कालरात्रिक पहर प्रीत जागल,
बुड़ल नाव...

उठू तीनु जननी नयन नोर पोछू
सुनू कैकेयी त्यागु परिताप सोचू
उड़ल प्राण बहुरल पुनः गात लागल,
बुड़ल नाव...

प्रमोदी चमन वर्ख - वर्खक सुखायल
हुलसि आइ पनकल विहंसि कऽ फुलायल
मृगक अक्षि अपलक विहग प्रेम पागल,
बुड़ल नाव...