Last modified on 6 मई 2019, at 23:42

वन्दे मातरम / कविता कानन / रंजना वर्मा

एक ही मंत्र
जिसने देश को
सदियों की
दासता से
दिलायी मुक्ति
जो बसा हुआ है
हर देशभक्त भारतीय के
रोम रोम में
बहा रहा है
संजीवनी
बना अमृत - धार
मुक्ति का आधार
करता प्राणों में संचार
नव स्फूर्ति
नवीन अनुरक्ति का
देश के प्रति
वंदे मातरम ।
नमन देश को
नमन मा भारती को
नमन जननी
जन्मभूमि को ।
पुकारिये सब
मेरे साथ
करिये उद्घोष
गूँज उठे दिग दिगन्त
वंदे मातरम
वंदे मातरम ।