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वन देवता मृत है / एज़रा पाउंड / एम० एस० पटेल
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’वन देवता मृत है । महान वन देवता ऋत है ।
ओ ! तुम सब कन्याएँ, शीश झुकाओ,
और तुम उसे उसके मुकुट में गूँथो ।’
’पत्तियों में ग्रीष्म नहीं है,
और नरकट मुरझाए हुए हैं,
हम मुकुट कैसे गूँथेंगे,
या फूलों की धरोहर कैसे बटोरेंगे ?’
’महिलाओ, शायद मैं नहीं कह सकता हूँ ।
मृत्यु हमेशा गँवार थी ।
महिलाओ, शायद मैं नहीं कह सकता हूँ ।
वह कारण कैसे बताएगी,
क्या वह हमारे प्रभु को
ऐसे ख़ाली मौसम में उठा ले गई है ?’
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : एम० एस० पटेल