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वन नहीं रहे / विनोद शाही
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कुञ्जों में लुक-छिप कौन चले, वन नहीं रहे
सरस्वती ख़ुद जल में डूबे, वन नहीं रहे
घसियारिन किसको प्रेम से छीले, वन नहीं रहे
चरवाहेन किसको हाँक हंसे, वन नहीं रहे
पनहारिन खोजे अपना पनघट, वन नहीं रहे
पत्थर पूछें कहां अहिल्या, वन नहीं रहे
लक्ष्मण की मूर्छा कैसे टूटे, वन नहीं रहे
बांस फूल बरसों में आएँ, वन नहीं रहे