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वयस्क बेटों के नाम / विमल राजस्थानी

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मा को धरती और पिता को तुम नभ का विस्तार सौंप दो
सारा वैभव रख लो, केवल जीवन का आधार सौंप दो
भूल गये तुम लारा-लप्पा में-
माँ के आँचल की छाया
जिसके शोणित से सिंचित-
हो, फूली-फली तुम्हारी काया
मातृ-दुग्ध की गंध भूल कर, चाहत में रम गये जिस्म के
पत्नी को पत्नी का, माँ को माँ का अधिकार सौंप दो
जो बचपन की बना सवारी
जिसके कंधों पर तुम बैठे
आज बुढ़ापे में उससे ही-
तुम रहते हो ऐंठे-ऐंठे
जिसने पहन चिप्पियों वाले पैण्ट गुजारा सारा जीवन
उसकी बुझती आशाओं को जीवन दो, विश्वास सौंप दो
जेवर गिरवी रखे कभी-
लेकर उधार थी फीस चुकायी
जिसने हँसते-हँसते न्यौछावर-
कर दी थी आना-पाई
बड़ा बनाकर तुम्हें गर्व से जिसकी फूल गयी थी छाती
उसकी उखड़ी साँसों को तुम सुरभित मलय बयार सौंप दो
तुम भी बाप बनोगे कल
पोता लिक्खेगा यही कहानी
व्यर्थ तुम्हारा होगा उस दिन
आँखों में भर लाना पानी
मत अपने भविष्य में अपने ही हाथों तुम आग लगाओ
उठो, पखारो, चारों चरणों को आँसू की धार सौंप दो