भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वय: सन्धि-द्वितीय पर्व / राजकमल चौधरी
Kavita Kosh से
बाघ-बोनमे बौआयब हम
ककरा संग, लागल साँझ-परात
माया मुदा, व्याधि व्यथाकेँ
जब्बर-जब्बर खुट्टा चारू कात
क्रोध नहि रहल मोनमे बैसल
मातल छुट्टा साँढ़-
आब की तोड़ब पगहा, किएक
मारब बथानमे लात।
(मिथिला मिहिर: 8.11.64)