मैंने लिखा तख्ती पर
वर्णमाला का पहला अक्षर
मैं विद्यार्थी बन गया
इसी ने बनाया अध्यापक
इसी ने अधिष्ठाता
इसी ने पढ़ाए अक्षर इसी ने अखबार
यही था अम्मा यही अनाज
यही था अग्नि यही अठन्नी
इसी अ ने सिखाई दुनिया को
अनशन, अनादर, अधर्म की परिभाषा
यही अ है अश्रु यही अहंकार
यही था अकबर यही अत्याचार
इसी अ से जीत रहे हैं सारे अपराध
इसी अ के आगे हार रहे हैं तमाम अधिकार
लड़ रहा है यही अ अन्याय से लगातार।