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वर्तमान का सच / प्रभाकर गजभिये
Kavita Kosh से
अगले वर्ष होगा
देश में चुनाव
हर कोई लगाएगा
भविष्य का दाँव
सत्ताधारी नज़र आ रहा
आख़िरी क्षण गिनता
क्या इसीलिए हुई उसे
अब पिछड़ों की चिन्ता?
भर्ती का निकल रहा
स्पेशल ड्राइव
पर ब्राह्मणवादी कहता
नहीं कोई क्वालिफाइड
आज़ादी के हो चुके
पूरे सैंतालीस साल
फिर भी देश में
योग्यता का अकाल?
सामान अवसर देंगे
शासन निकालता जी.आर.
पर क़लम का अधिकारी
करता ख़राब सी.आर.
शिखर चढ़ने को उपेक्षित
कमर कस खड़ा है
परन्तु पुरातनवादी
टाँग खींचने पर अड़ा है
कहीं पर कुंठा
तो कहीं मान-अपमान
क्या बताएँ हम आपको
यही देश का वर्तमान!