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वर्षा आई / रमेश रंजक

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बड़े ज़ोर से पानी बरसा निकले बच्चे घर से ।
आँगन में हो गए इकट्ठे बच्चे इधर-उधर से ।।

प्रीति मुन्ना को गोदी में लेकर बाहर आई ।
नटखट रवि ने एक बड़े काग़ज़ की नाव बनाई ।।

आँगन के बहते पानी में नाव बही काग़ज़ की ।
बबलू जी ने चट से अपनी माँ की गोदी तज दी ।।

निशा बजाकर ताली नाची सुधा मचाती हल्ला ।
देख बुलबुला मंजू बोली पानी में रसगुल्ला ।।

बात मज़े की तुम्हें सुनाऊँ सुनना कान लगा कर ।
दिन्नू ने कर लिए इकट्ठे बालक बुला-बुलाकर ।।

देखो मम्मी की बहादुरी पानी से घबरातीं ।
पापा जी पानी से डरकर पहन रहे बरसाती ।।