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वर्षा के दिन / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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बरसै छै बादल घनघोर
कोय दिशा के ओर नै छोर।

कड़कै बिजली कड़-कड़-कड़
पर मेघोॅ होनै चिम्मड़।

फाटै कहीं सें जरियो नै
भागै दूर अन्हरियौ नै।

बेंगो छुप से सुटियैलोॅ
लागै समय छै भटियैलोॅ।

झिंगुर तक के बोली चुप
की रं रात अन्हरिया घुप।

घोॅर होने छै की रं कुप
पोखर कुइयाँ टापे टुप।