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वर्षा / नवनीता कानूनगो
Kavita Kosh से
छत के टीन गान के लिए,
पत्तों के उन्मत्त नृत्य,
तली हुई चाहों की मीठी सुगन्ध,
उन सरल चीज़ों के लिए जो मुझे सरलता से मारते हुए
मेरी वजह से मर गई....
इन सब के लिए गाया गीत
एक भोली कागज़ की नाव की तरह डूब जाता है,
और एक निर्जन द्वीप पर फँसा दिन नज़रें तिरछी करता है
ढूँढ़ने के लिए चंचल सड़कों पर बहते इन्द्रधनुष।
साँझ के पास
मैं अन्तर्मुखी हो जाती हूँ
और सोचती हूँ खोए मित्रों और छन्दों के बारे में।
कोई क्रोध मेरे शब्दों को फुफकार के तरह फेंकता है.
समय का प्राचीन विलाप।
अब एक चोट इस आकाश में उभरती है
और असंख्य जीभें उतरती हैं
चाटने के लिए एकान्त के पल।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रीनू तलवाड़