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वहम के बादलों से / अनिता मंडा
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वहम के बादलों से
अटा हुआ है आकाश
अज़ाबों की बारिशें हैं
कहर है हर सम्त
ख़ुदाया वो भरोसे की
बारिशें कहाँ गई