भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वहाँ अलका में पहनने के लिए रंगीन वस्त्र / कालिदास
Kavita Kosh से
|
वासश्चित्रं मधु नयनयोर्विभ्रमादेशदक्षं
पुष्पोद्भेदं सह किसलयैर्भूषणानां विकल्पान्।
लाक्षरागं चरणकमलन्यासयोग्यं च यस्या-
मेक: सूते सकलमबलामण्डनं कल्पवृक्ष:।।
वहाँ अलका में पहनने के लिए रंगीन वस्त्र,
नयनों में चंचलता लाने के लिए चटक मधु,
शरीर सजाने के लिए पुष्प-किसलय और
भाँति-भाँति के गहने, चरणकमल रँगने के
लिए महावर - यह सब स्त्रियों की श्रृंगार-
सामग्री अकेला कल्पवृक्ष ही उत्पन्न कर
देता है।