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वहाँ चट्टान पर शिवजी के पैरों की छाप / कालिदास

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तत्र व्‍यक्‍तं दृषदि चरणन्‍यासमर्धेन्‍दुमौले:
     शश्‍वत्सिद्धैरूपचितबलिं भक्तिनम्र: परीया:।
यस्मिन्‍दृष्‍टे करणविगमादूर्ध्‍वमुद्धृतपापा:
     संकल्‍पन्‍ते स्थिरगणपदप्राप्‍तये श्रद्दधाना:।।

वहाँ चट्टान पर शिवजी के पैरों की छाप
बनी है। सिद्ध लोग सदा उस पर पूजा की
सामग्री चढ़ाते हैं। तुम भी भक्ति से
झुककर उसकी प्रदक्षिणा करना। उसके
दर्शन से पाप के कट जाने पर श्रद्धावान
लोग शरीर त्‍यागने के बाद सदा के लिए
गणों का पद प्राप्‍त करने में समर्थ होते हैं।