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वहां दूर क्यों खड़े है, पास आइए / सांवर दइया
Kavita Kosh से
वहां दूर क्यों खड़े है, पास आइये।
अब सारे सबूत लेकर साथ आइये।
आप कहते हैं यहां भोर होगी नहीं,
मान लेंगे सूरज की लाश दिखाइये!
हर कोई डूब रहा इस घाट पर आज,
सुनिये, यहां पहरे कुछ खास लगाइये!
बात करने की तमीज़ भी सीख लेंगे,
इतनी दूर क्यों रखा, पास बुलाइये!
कुछ सांसें सलीब पर भी नहीं झुकेंगी,
वहां बैठे आप बस क़यास लगाइये!