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वहीं नहीं लेकिन / सांवर दइया
Kavita Kosh से
एक ही रक्त-मांस-मज्जा से
बने हैं मैं और तुम
चूंघा है एक ही मां के स्तनों से दूध
गोद वही
आंगन वही
छत वही
वही नहीं लेकिन मैं और तुम
यदि
मैं तुम होता
तो तुम क्या होते
या
तुम मैं होते
तो फिर मैं क्या होता ?
मैं, मैं हूं
तुम, तुम हो
अलग- अलग है पहचान हमारी
और यही है होना हमारा !