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वही एक / पारुल पुखराज
Kavita Kosh से
					
										
					
					स्पर्श कर 
अधर 
जिसके 
उड़ गए 
अनगिन 
भ्रमर 
वही
एक 
अप्रतिम 
उसी 
पुष्प का मुख 
पवित्र
	
	