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वही गर्दिश, सितारा भी वही है / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
Kavita Kosh से
वही गर्दिश, सितारा भी वही है
ज़माने का इशारा भी वही है
वही है डूब जाने की रवायत
वही कश्ती, किनारा भी वही है
वही अठखेलियाँ हैं मौसमों की
वही गुलशन,नज़ारा भी वही है
लड़ा जो सिर्फ़ दौलत की लड़ाई
अना की जंग हारा भी वही है
वही मालिक, ख़ुदा है जो तुम्हारा
सुनो, राघव हमारा भी वही है