वही फ़साना पुराना सुना दिया मुझको / राजश्री गौड़

वही फ़साना पुराना सुना दिया मुझको,
लगी थी हँसने मगर फिर रुला दिया मुझको।

उम्मीद कैसे करूँ उससे दिल नवाजी की,
भँवर में लाके पराया बता दिया मुझको।

जवाब दूँ भी तो क्या, बैठी हूँ जुबाँ सी कर,
सवाल करके वो किस दर पे ला दिया मुझको।

गुलों सी ख़्वाहिशें दम तोड़ने लगी मेरी,
ग़मों की आग ने ऐसा जला दिया मुझको।

गरेबाँ चाक किए बैठी हूँ कहाँ आकर,
वो ऐसे दर्द का मंजर दिखा दिया मुझको।

सजाए मौत दी मुझको तो इस तरह से दी,
मेरे वज़ूद में उसने दबा दिया मुझको।

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