वह असमंजस में है / सरोज कुमार
वह सामने हो, न हो 
उस पर सबकी नजर रहती है 
घर भर की, पड़ौसी की, 
सामने वाले पनवाड़ी की भी!
उसे लगता है
वह जासूसों से घिरी हुई है
तरह-तरह की अड़चनें बात-बात में
जल्दी लौट आने की हिदायत 
हर अनुमति में!
उसकी अनुपस्थिति में 
उसकी किताबें, कापियाँ, अलमारी 
उसे लगता है 
टटोली जाती है!
उसे बेमन से पढ़ाया जा रहा है- 
उसे पता है !
पढ़ाई कभी भी बंद कर दी जाएगी-
उसे लगता है!
उसकी शादी की बात 
कहाँ- कहाँ चल रही है
उसे नहीं मालूम!
चल जरूर रही है! 
उसे हलचल से लगता है!
इस बारे में उससे कोई नहीं पूछता-
इसकी उसे पीड़ा है!
लोकसभा के चुनाव के समय 
वह अपना वोट जरूर अपनी मर्जी से 
देने आई थी!
शादी के बाद वह कहाँ होगी 
उसे नहीं मालूम!
राँची में ? रतलाम में? 
मुम्बई में? बीकानेर में?
विदेश में? या अपने ही कस्बे में? 
किसे पता!
सब उसे जताते हैं
कि सबको
बस उसकी ही चिन्ता है!
पिताजी दौड़- भाग में थक रहे हैं
माँ गुमसुम, भाई परेशान 
भाभी भरीभरी!
वह असमंजस में है 
इसकी चिन्ताजनक हो जाने से!
वह सुन्दर है
पढ़ी-लिखी, समझदार 
क्या कमी है उसमे?
वह जायादा खुश दिखती है, 
तो शक की नजरों से देखी जाती है!
दु:खी होने पर 
सब कुदाली से खोदते है!
वह टाइम टेबल फेयर करती है,
तो कोई पुछ लेता है
किसे चिट्ठी लिख रही है?
अच्छे कपड़े पहनती है 
तो भाभी पूछ लेती है 
आज क्या बात है?
वह क्या करे 
और क्या-क्या न करे 
कि सब उसे वही समझे, जो वह है!
वह डॉक्टर बनना चाहती थी,
पर उसे बी.ए. में पढ़ाया गया!
सब कहते हैं 
उसे किस बात की कमी है,
वह पूछना चाहती है 
उसके पास ऐसा है ही क्या 
वह बचपन के बारे में सोचती है 
कितना प्यारा था,
तब उसे सब वैसी ही समझते थे 
जैसी वह थी!
उसके बड़े होने से अधिक बड़ी 
उसके बड़े हो जाने की बात हो गई है!
जब छोटी थी 
तब दुनिया बड़ी सरल थी 
बड़े होते ही 
दुनिया छोटी ही नहीं
कठिन भी हो गई है!
वह सोचती है भाग जाए!
पर कहाँ?
किसके साथ?
और फिर क्यों?
अकेले वैसे भी कोई भागता नहीं! 
लड़की जब भागती है 
किसी के साथ ही तो भागती है,
जिसके साथ भागती है 
वह उसके भागने का 
कारण कम,
सहारा ज्यादा होता है!
उसे अपना अतीत मोहक,
वर्तमान दुरूह और 
भविष्य डरावना लगता है!
वह विचलित हो उठती है, सोचते हुए 
कि यह घर जिसका चप्पा-चप्पा 
उसका आत्मीय है
बेगानों कि तरह पराया हो जाएगा!
घर में रचा-बसा इतिहास खो जाएगा!
उसके हाथ में न जाने 
कैसी रेखा है!
कल का चेहरा, किसने देखा है!
वह पढ़ने निकल रही है 
उसकी सहपाठी, उसे लेने आ गई है
वैसे आज क्लास एक भी नहीं है,
पर कॉलेज 
सिर्फ कलास तो नहीं होता!
	
	