भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वह काम मुरादाबाद में हम कर आए / शमशेर बहादुर सिंह
Kavita Kosh से
(भारत देश की ईद; 1980 : मुरादाबाद)
वह काम मुरादाबाद में हम कर आए,
दुनिया में ऊँचा अपना परचम कर आए!
बच्चों की,जवानों की उमीदों की वो ईद !
उस ईद का हम जा के मातम कर आए !!