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वह केवल भारत की ही नारी है / संजय तिवारी

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गौतम
यह भारत है
मातृसत्ता का देश
कोई फर्क नहीं पड़ता कि
क्या है
किसी का वेश
माँ भारती की होती है पूजा
नहीं कोई दूजा
जब कोई बन जाता है इसकी शान
तब जगत उसे मन लेता है भगवान्
भावुकता इसकी थाती है
यह माँ की छाती है
करुणा
दया
क्षमा
और प्यार
इसके संसार
यहाँ की हवा भी यही गाती है
मातृ राग सुनाती है
सुमित्रा
राम की सेवा के लिए
खुद के पुत्र को वन में भेज देती है
अहिल्या
शाप को भी अनुग्रह बना लेती है
यह मन से भी आगे
बुद्धि
मेधा
प्रज्ञा
और ऋतम्भरा तक की यात्री है
शब्द हैं?
सांख्य है
गायत्री है
यह सृष्टि जिसकी आभारी है
वह केवल भारत की ही नारी है