भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वह कौन पुरुष है? / मनीष यादव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह कौन पुरुष है?
जो अपनी निद्रा के अभाव में
किसी स्त्री के सिरहाने चला जाता है

फिर वापस आते क्षण ले आता उसका”चरित्र”
अपने ताखे पर रखने को।

प्रेम में छली गई स्त्री
जब सबको अपना सच बताती है
ताखे पर रखी चरित्र की हांडी टूट पड़ती है

चारों तरफ हो-हल्ला मचने लगता है
और सबसे पहले सच का गला घोंट दिया जाता है

पिता की सबसे जिद्दी लड़कियों का भी
हार मानकर टूट जाना,
किसी पूर्णिमा की चाँद में ग्रहण लगने के समान ही तो है

सबसे ज्यादा स्वाभिमानी लड़कियों को
फँदे से लटका देखा गया!
क्या किसी का स्वाभिमान मर जाने को कहता है?
या किसी के अभिमान ने कहा होगा इसे मार डालो..!

हम पिछली से अगली पीढ़ी के निर्माण में
ऐसे प्रश्नों का उत्तर खोजते हुये, स्वयं एक प्रश्न बन जाते हैं

किंतु तब भी
मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूं उन सब से-

क्या?
हम सबके अंदर एक प्रेत है!
जो रोकता है ,
औरत को उसके हक की सीढ़ी चढ़ने से।‌