भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वह क्षण / थीक न्हात हन / सौरभ राय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इस क्षण, धीरे से पियो अपनी चाय
मानो उसकी धुरी पर घूम रही हो धरती
– धीरे-धीरे, बड़े आराम से,
बिना कल की सोचे
बस इस क्षण को ग्रहण करो
बस, यह क्षण ही जीवन है।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सौरभ राय